Hori : Bhartiya Kishan Ka Pratinidhi

Authors

  • Savita sonipat

Keywords:

भारत के किसानो को दुख से मुक्त करना, गरीबी कृषक जीवन का अभिशाप, किसान ऋण समस्या, श्रमिको का गॉंवो से पलायन

Abstract

भारत एक कृषि प्रधान देश है । अगर भारतीय समाज के एक बहुत बड़े भाग कोें दुख और अन्याय से मुक्त करना है, तो भारत के किसानो को दुख से मुक्त करना होगा । गरीबी कृषक जीवन का अभिशाप है और यह भारत का दुर्भाग्य है कि आज देश का किसान इसी अभिशाप से ग्रस्त है। भारत का किसान ऋण समस्या, अशिक्षा, कमजोर आर्थिक स्थिति का शिकार है। हम प्रतिदिन अखबार में, दूरदर्शन पर, रेडियों पर किसानो की आत्महत्याओं की खबर पढते व सुनते है। किसानों की चित्कार देश में चारों तरफ सुनाई दे रही है । परन्तु हमारा शासक वर्ग मूक दर्शक बनकर तमाशा देख रहा है और राजनीतिक दल एक - दूसरे पर आरोप- प्रत्यारोप कर खूद का पल्ला झाड़ कर स्वार्थ की रोटियॉं सेंक रहे है । स्वतंत्रता प्राप्ति के 68 वर्ष के पश्चात भी किसानों की हालत दयनीय बनी हुई है । किसानों, भूमिहीन किसानो, श्रमिको का गॉंवो से पलायन, विस्थापन, आत्महत्याएॅं आज भी देश में विद्यमान है और यह किसी से छिपा नही है । किसान पहले भी उपेक्षित था और आज भी उपेक्षित है । उसका शोषण होता ही चला जा रहा है । किसानो की स्थिति देखकर ‘गोदान’ का होरी याद आ जाता है और मन मे यह प्रश्न उठता है कि क्या किसानांे की इस दयनीय दशा का कभी अंत होगा या नही ?

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References

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Published

30-06-2016

How to Cite

Savita. (2016). Hori : Bhartiya Kishan Ka Pratinidhi. Jai Maa Saraswati Gyandayini An International Multidisciplinary E-Journal, 1(III), 122–126. Retrieved from http://www.jmsjournals.in/index.php/jmsg/article/view/50